इकना (IQNA) के अनुसार, इराक की आधिकारिक समाचार एजेंसी (वाक्)की रिपोर्ट के मुताबिक, आयतुल्लाह सिस्तानी के प्रतिनधि ने गुरुवार शाम (5 जुलाई) को कर्बला में इमाम हुसैन (अ.स.) और हजरत अब्बास (अ.स.) के मकबरे के गुंबद पर महीने-मुहर्रम की शुरुआत के मौके पर झंडा बदलने के समारोह में अपने संबोधन में चेतावनी दी कि वर्तमान क्षेत्रीय स्थिति खतरनाक है और इसके परिणाम इराक के लिए अनिवार्य रूप से गंभीर होंगे। उन्होंने चुनौतियों का सामना करने, हथियारों पर सरकारी नियंत्रण और किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को रोकने पर जोर दिया।
उन्होंने इराकियों को चुनौतियों का सामना करने और वर्तमान स्थिति से पार पाने के लिए जागरूकता और दूरदर्शिता से लैस होने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हुसैनी संस्कार (रिवाज) ईश्वर के निकट आने, पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) और उनके पवित्र परिवार के साथ सहानुभूति रखने, धर्म के संकेतों और इसकी अनिवार्यताओं व परंपराओं को पुनर्जीवित करने का माध्यम हैं। इसका उद्देश्य "अम्र बिल मारूफ व नही अनिल मुनकर" (भलाई का आदेश और बुराई से रोकना) है, जिस पर इमाम हुसैन (अ.स.) ने जोर दिया था। इसलिए, हुसैनी संस्कारों को घरों, संस्थानों और संगठनों में निभाने के लिए प्रतिबद्ध रहें, क्योंकि यह सभी का कर्तव्य है।
आयतुल्लाह सिस्तानी के प्रतिनिधि ने कहा कि यह क्षेत्र न्याय और भलाई के मोर्चे तथा बुराई के समर्थकों के मोर्चे के बीच संघर्ष का गवाह रहा है। यह संघर्ष सभी कल्पनीय सीमाओं को पार कर चुका है।
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