अल-कफील की रिपोर्ट के अनुसार, अब्बासी पवित्र स्थल से जुड़े वैज्ञानिक कुरआन समुदाय (मजमा) ने अर्बाइन जायरिनों के लिए कुरआनी गतिविधियों और सुविधाओं की एक श्रृंखला प्रदान की है।
इस समुदाय से जुड़े कुरआन केंद्र ने कर्बला की ओर जाने वाली सड़कों पर कई कुरआनी स्टेशनों का आयोजन किया है। इन स्टेशनों पर 40 से अधिक क़ारी और हाफ़िज़ शामिल हुए हैं, जो जायरिनों को सूरह फातिहा और छोटे सूरतों की सही तिलावत सिखाते हैं और उनकी नमाज़ के अज़क़ार को सही करने में मदद करते हैं। यह सब उनके धार्मिक ज्ञान को बढ़ाने और इबादत को सही ढंग से अंजाम देने के लिए किया जा रहा है।
इसी क्रम में, इस संस्था ने पैदल जायरिनों के लिए एक सेवा मुकाम (मौकिब) भी स्थापित किया, जिसमें उन्हें भोजन, पेय और हल्के नाश्ते जैसी सुविधाएँ प्रदान की गईं। इस मुकाम ने 6000 बोतल पानी, 5600 जूस और मिठाई वितरित की।
इसके अलावा, इस समुदाय ने जायरिनों के मार्ग में दैनिक कुरआन सत्रों का आयोजन किया, जिसमें इराकी और मिस्री शैली में कुरआन तिलावत, हाफ़िज़ों के साथ इंटरैक्टिव गतिविधियाँ और हुसैनी मजलिसें शामिल थीं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य जायरिनों की आध्यात्मिकता को बढ़ाना और उन्हें अहल-ए-बैत (अ.स.) के मआरिफ से अधिक परिचित कराना था।
ये गतिविधियाँ अब्बासी पवित्र स्थल से जुड़े वैज्ञानिक कुरआन समुदाय के प्रयासों को दर्शाती हैं, जो अर्बाइन की पवित्र यात्रा के दौरान जायरिनों का समर्थन करने और एक समृद्ध आध्यात्मिक व बौद्धिक वातावरण प्रदान करने के लिए काम कर रहा है।
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