अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) "अलयौमुस्साबेअ" जानकारी डेटाबेस के अनुसार, "शोक़ी अलाम," मिस्र के मुफ्ती ने इस बयान के साथ कहा, आतंकवादी समूह, हिंसा का औचित्य साबित करने के लिए जो वह कर रहे हैं पवित्र कुरान की 50 आयतों की गलत व्याख्या कर रहे हैं.
उन्हों ने कल 16 नवंबर को युवा मामलों के मंत्रालय में मिस्री युवाओं के एक समूह की उपस्थिति में बोलते हुए कहाः आतंकवादी समूहों ने धर्म से अपनी समझ में गंभीर समस्या पैदा कर दी है.
शोक़ी अलाम ने दोहराया: पवित्र क़ुरान और सुन्नते नबवी दो बुनियादी सिद्धांत हैं और इसके साथ सहभागिता विशेषज्ञ विद्वानों की व्याख्या पर ध्यान के साथ की जानी चाहिए और एक महान शिक्षा के आयामों रखते हैं जो कि धार्मिक विद्वानों के माध्यम से स्थानांतरित हुऐ हैं और यह प्रभाव इस बात का कारण हुऐ कि एक महीने विद्वानों के साथ बैठना एक साल के अध्ययन से अधिक लभार है.
मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती ने गुलामी मामले में उल्लेख किया और बल दियाः इस्लाम के आगमन के समय गुलामी, सामाजिक संरचना का हिस्सा थी.
शोक़ी अलाम ने कहाः इस्लाम धर्म में अतिशयोक्ति और धार्मिक शिक्षाओं के लिए अतिवाद एक वास्तविक इस्लाम को नहीं बताता है.
उन्होंने कहा कि इस तरह का उग्रवाद पवित्र पैगंबर (स.व.)के समय में भी था लेकिन कभी भी पैगंबर मुहम्मद ने उसकी ताईद नहीं की क्यों कि इस्लामी दृष्ट से हर शख़्स यह अधिकार रखता है कि, अपने जीवन से आनंद उठाऐ.
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