अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA), न्यूज नेटवर्क प्रेस टीवी के हवाले से,यह दुनिया अपनी महानता के ब वजूद भी "रोहिंग्या" के मुस्लिम लोगों के लिऐ कोई जगह नहीं रखती, म्यांमार की मार्शल लॉ सरकार और बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा मुसलमानों के उत्पीड़न और नरसंहार व इस देश के हजारों मुसलमानों के पड़ोसी देशों में विस्थापन के वर्षों के बाद, इन शरणार्थियों की स्थिति के बारे में अच्छी खबर जो कि भारत में रहते हैं नहीं सुन सके.
रोहिंग्या मुसलमानों से जो भारत की राजधानी नई दिल्ली के कैम्पो में वर्तमान में अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं, शहर छोड़ने के लिए कह दिया गया है.
एक रोहिंग्याई महिला ने कहा, "हम तीन साल पहले यहां आऐ थे, और भगवान जानता है कि इस वक़्त से अब क्या झेला है यह जमीन भी भारत के मुस्लिम जकात फाउंडेशन हमें दी है, लेकिन अदालत ने फैसला किया है कि हमें इस अमानवीय परिस्थितियों से भी वंचित कर दे.
अल-ताहिर, भारतीय ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन के निदेशक ने कहा:हम अधिकारियों को राजी करने की कोशिश कर रहे हैं कि शरणार्थियों को निष्कासित न करें, हमने शिविरों को देखा है और इन मुसलमानों को बचाने के लिए हमें सभी कानूनी उपायों को करना होगा.
संयुक्त राष्ट्र यूएनएचसीआर के अनुसार, 9000 रोहिंग्याई मुसलमान दिल्ली में कई शिविरों में शरणार्थी हैं और कई हजार भारत के अन्य राज्यों में रहते हैं।
इन मुस्लिम शरणार्थियों के शिविरों में पानी और स्वास्थ्य सेवाऐं नहीं हैं और विस्थापित व्यक्ति सबसे खराब स्थिति में रह रहे हैं.
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