म्यांमार ने संयुक्त राष्ट्र पर मुसलमानों के खिलाफ़ घटनाओं को बड़ा दिखाने का आरोप लगाया
अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार ऐजेंसी(IQNA) ने समाचार पत्र «प्रथम पोस्ट» उद्धृत के अनुसार, म्यांमार सरकार ने घोषणा की देश के सैन्य बलों द्वारा पिछले साल रोहिंग्याई मुस्लिम अल्पसंख्यकों के दमन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध और जातीय सफाई के आरोप के बारे में की गई जांच के परिणामों से पता चलता है कि इस तरह के अपराध नहीं हुऐ हैं।
सैन्य बलों द्वारा पिछले साल रोहिंग्याई मुस्लिम अल्पसंख्यकों का दमन इतना गंभीर थे कि दसयों हज़ार लोग बावजूद अनिश्चित भविष्य के बांग्लादेश भाग गए और बात सबब बनी कि संयुक्त राष्ट्र मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों की जांच के स्वयं मैदान में उतरे।
संयुक्त राष्ट्र ने इस संबंध में ऐक रिपोर्ट प्रकाशित की और उसमें मानवता और जातीय सफाई के खिलाफ अपराध की घटनाओं की सूचना दी।
इस अंतरराष्ट्रीय संस्था ने इसी तरह कोशिश कि ऐक इस मुद्दे की जांच के लिए तथ्य खोजने वाली कमेटी म्यांमार भेजे कि इस देश की सरकार ने ऐसा करने से रोका और कहा कि वह खुद स्वतंत्र तरीक़े से इस विषय की समीक्षा करेगी।
अनुसंधान दल म्यांमार जो कि "मेंत सूह" म्यांमार सैन्य खुफिया ऐजेंसी के पूर्व प्रमुख, और वर्तमान में देश के राष्ट्रपति के सहायक ने एक रिपोर्ट में जो इस संबंध में प्रकाशित की है घरों के जलाने से संबंधित सभी आरोपों को जोकि उपग्रह चित्रों में भी स्पष्ट थे, ग्रामीणों को गोली मारना और रोहिंग्याई महिलाओं के साथ बलात्कार को खारिज कर दिया।
सूह ने कहा कुछ खबर बाहर से बनाई गई हैं, लेकिन हम ने इस संबंध में कोई सबूत नहीं पाया।
म्यांमार ने इसी तरह रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र पर घटनाओं को बड़ा दिखा कर पेश करने का आरोप लगाया।
मानव अधिकार समूहों जांच के परिणामों के बारे में पहले ही चेतावनी दी थी और घोषणा की थी कि टीम में निष्पक्ष विशेषज्ञों के न होने के कारण, अनुसंधान विधियां अनुचित और ज़िम्मेदार लोगों का निष्पक्ष न होना, यह शोध विश्वसनीय परिणाम नहीं दे सकता है।