अंतर्राष्ट्रीय कुरआन समाचार एजेंसी (IQNA) ने रायटर के अनुसार बताया कि मानवाधिकार समूह के कार्यकारी निदेशक मैथ्यू स्मिथ ने कहा: कि "म्यांमार सरकार प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से रोहिंग्या लोगों की पहचान को नष्ट करने और उन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों को राष्ट्रीय पहचान पत्र (NVC) अपनाने के लिए मजबूर कर रही है जो उन्हें मुस्लिम विदेशी बनाते हैं।
म्यांमार के सैन्य प्रवक्ता टोंटन नाइ ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्हें बंदूक या यातना से कार्ड स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जारहा है।
म्यांमार सरकार ने कई रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिकता से इनकार कर दिया है, जिन्हें व्यापक रूप से बांग्लादेश में अवैध प्रवासी माना जाता है, भले ही देश में उनकी पृष्ठभूमि कई पीढ़ियों तक वापस चती आरही है।
म्यांमार की सेना द्वारा राखाइन राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ गंभीर दमन और हिंसा ने 2017 में 730 हज़ार से अधिक मुसलमानों को बांग्लादेश भागने और उनके विस्थापन के लिए मजबूर किया है।
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