अनातोलिया न्यूज एजेंसी के अरबी खंड के अनुसार IQNA की रिपोर्ट, 34 मलेशियाई नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों ने कल 31 जनवरी को देश की राजधानी कुआलालंपुर में एक बैठक में सेंचुरी डील नामक अमेरिकी-इजरायल योजना पर अपने विरोध की घोषणा की।
इन संगठनों द्वारा एक संयुक्त बयान में, जो मलेशिया के इस्लामिक संगठनों परामर्शी परिषद (MAPIM) के उपाध्यक्ष मोहम्मद अज़मी अब्दुल हमीद द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन में पढ़ा गया, आया है: इस योजना से न केवल फिलिस्तीनियों को शांति मिलती है, बल्कि उनके अधिकारों का बद्तरीन उल्लंघन है।
इस बयान में आगे आया हैः इस योजना का उद्देश्य फिलिस्तीनियों को अपना वैध संघर्ष छोड़ने और अपनी मातृभूमि और संप्रभुता पर लौटने का अधिकार छोड़ने के लिए मजबूर करना है।
बयान में उन देशों की भी आलोचना की गई जिन्होंने भ्रम की योजना का समर्थन किया, विशेष रूप से सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन और बल दिया गया है:यह देश फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का बचाव करने के बजाय, फिलिस्तीनी अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए अमेरिका और इजरायल की नीतियों का समर्थन करते हैं। ।
बयान के अंत में आया है: गैर-सरकारी संगठनों, राजनेताओं और मलेशिया और दुनिया भर में विभिन्न धर्मों के प्रमुख हस्तियों पर ज़रूरी है काल्पनिक यूएस-इजरायल शांति योजना के विरोध में आवाज़ उठाऐं।
इसी तरह, कुआलालंपुर में फिलिस्तीनी दूतावास ने कल 31 जनवरी को अमेरिकी डील के विरोध में एक रैली का आयोजन किया, और रैली में भाग लेने वाले, मलेशियाई नागरिकों और फिलिस्तीनी और अरबी अल्पसंख्यकों का एक समूह, नागरिक संगठनों और फिलिस्तीनी समर्थन संगठन शामिल थे उन्होंने दृढ़ता से इस योजना पर अपने विरोध की घोषणा की।
याद करो, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार, 28 जनवरी को, बेंजामिन नेतन्याहू, ज़ायोनी शासन के प्रधान मंत्री और संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और ओमान के राजदूतों की उपस्थिति में तथाकथित सेंचुरी डील नामक इजरायल अमेरिकी योजना का अनावरण किया जिसने दुनिया भर के विरोध का अनुसरण किया।
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