दिल्ली से इक़ना की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली एनसीआर, दिल्लीNCR शिया नगर रजैटी में अपने जुमे के ख़ुत्बे में, मौलाना मुहम्मद बाकिर रज़ा साहब ने इज़राइल की क्रूरता और ज़ुल्म की ओर इशारा किया और कहा कि यूरोप, usa और Uno ने जितनी जमीन गलत तरीके से इसराइल को दे दी थी, इजरायल को उससे भी संतुष्ट नहीं है। बल्कि उसने उस के बाहर भी फ़िलिस्तीनियों की ज़मीनों पर ग़ैरकानूनी कब्ज़ा कर लिया जो यूएनओ, अमेरिका और यूरोप के अनुसार भी फ़िलिस्तीनियों की है।
आपने भारत में अंग्रेजों के अवैध कब्जे का जिक्र किया और कहा कि जब कोई किसी के घर या देश पर अवैध कब्जा कर लेता है तो वहां के लोग उसे अपनी जमीन से खदेड़ने के लिए संघर्ष कर सकते हैं जैसे भारतीयों ने अंग्रेजों से किया था और लड़कर अपनी जमीन वापस ले ली। कोई यह नहीं कह सकता कि हड़पने वाला बातचीत के माध्यम से अपना कब्ज़ा छोड़ देगा, बल्कि यदि उसे कमज़ोरी दिखाई जाए तो वह और भी ढीट हो जाता है।
आपने कहा कि जिस तरह अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले लोग आजादी के शहीद और स्वतंत्रता सेनानी कहलाते हैं, उसी तरह अपनी जमीन के लिए लड़ने वाले फिलिस्तीनी भी शहीद और स्वतंत्रता सेनानी हैं।
आपने कहा कि स्वयं इस्राइलियों के दृष्टिकोण से, उन पर हिटलर ने अत्याचार किया था और जर्मन धरती पर उन पर अत्याचार किया गया था, न तो कोई मुस्लिम उन पर अत्याचार कर रहा था, न ही मुस्लिम भूमि पर उन पर अत्याचार किया गया था। तो फिर यह क्या तुक है कि यहूदियों को जर्मन के बजाए फ़िलिस्तीनी ज़मीन पर बसाया गया और मुसलमानों की ज़मीनें हड़प ली गईं?
आपने कहा कि इजराइल का समर्थन करने वालों को दुनिया के एतबार से भी नुकसान होगा क्योंकि हालात बता रहे हैं कि वह दिन दूर नहीं जब इजराइल इस धरती से पूरी तरह से गायब हो जाएगा और फिलिस्तीन में फिलिस्तीनी सरकार स्थापित हो जाएगी। तो वे लोग उन फ़िलिस्तीनियों को क्या मुंह दिखाएंगे जो फ़िलिस्तीनियों का समर्थन नहीं कर रहे हैं और इज़रायलियों का समर्थन कर रहे हैं?
आपने कहा कि हमने सोचा था कि इजराइल को नष्ट होने में समय लगेगा, लेकिन हालात बता रहे हैं कि जितना हमने सोचा था उससे कहीं पहले ही इजराइल दुनिया के नक्शे से गायब हो जाएगा।