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व्यक्तिगत नैतिकता/ज़ुबान की आफ़तें 7

बोहतान 2

15:14 - October 08, 2024
समाचार आईडी: 3482118
IQNA-इस संसार में कुरूप होने के दुष्परिणामों में व्यक्ति और समाज दोनों शामिल होते हैं। एक व्यक्ति जो दूसरे को चोट पहुँचाता है, वह ईश्वर की साज़िशों से सुरक्षित और स्वस्थ नहीं रहेगा और अंत में अपमानित होगा। ऐसे व्यक्ति की समाज में शीघ्र पहचान हो जाती है तथा उसका मूल्य तथा विश्वसनीयता कम हो जाती है।

पिछले नोट में बोहतान की परिभाषा और इसके सांसारिक और पारलौकिक प्रभावों के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया था। ईशनिंदा वर्णित नैतिक बुराइयों में से एक है आयत «وَالَّذِينَ يُؤْذُونَ الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ بِغَيْرِ مَا اكْتَسَبُوا فَقَدِ احْتَمَلُوا بُهْتَانًا وَإِثْمًا مُبِينًا» (अल-अहज़ाब/ 58) (अनुवाद) : और जो लोग ईमान वाले पुरुषों और महिलाओं को बिना [अशोभनीय कार्य] किए सताते हैं, उन्होंने निःसंदेह कुफ़्र और स्पष्ट पाप किया है।) में इसका उल्लेख किया गया है। इस क्रिया का जन्म मनुष्य के कुरूप आंतरिक लक्षणों के नाम से हुआ है। यह बुरा व्यवहार कुछ नैतिक बुराइयों में निहित है, जिनमें शामिल हैं:
1. शत्रुता: कभी-कभी शत्रुता और घृणा की आग को बुझाने के लिए व्यक्ति दूसरे पर झूठ बांधता है और अप्रिय निस्बत देता है।
2. ईर्ष्या: कभी-कभी एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की गरिमा और पूर्णता से ईर्ष्या करता है और उसकी छवि को नष्ट करने के लिए उस पर बोहतान करता है।
3.: सजा से डरना और बचना: कभी-कभी कोई व्यक्ति अपनी गलती के लिए सजा के डर से या उसके साथ होने वाले अन्याय को खत्म करने के लिए किसी और पर बोहतान करता है। इस विषय में इन बुराइयों की दुष्ट वंशावली बोहतान चुगली से भी कहीं अधिक कड़वा फल देता है; क्योंकि किसी व्यक्ति में वास्तविक दोषों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है; और जबकि बोहतान वह है कि जो उसमें नहीं है उससे मनसूब करते हैं ।
इस संसार में कुरूप होने के दुष्परिणामों में व्यक्ति और समाज दोनों शामिल होते हैं। एक व्यक्ति जो दूसरे को चोट पहुँचाता है, वह ईश्वर की साज़िशों से सुरक्षित और स्वस्थ नहीं रहेगा और अंत में अपमानित होगा। ऐसे व्यक्ति की समाज में शीघ्र पहचान हो जाती है तथा उसका मूल्य तथा विश्वसनीयता कम हो जाती है। बोहतान मानव समाज में शत्रुता के बीज बोता है, यह मित्रता को शत्रुता में बदल देता है। बोहतान छोटी और बड़ी सामाजिक इकाइयों की धुरी विश्वास की भावना को नष्ट कर देता है और उनके विघटन का कारण बनता है। यह अप्रिय विशेषता सभी रिश्तों को प्रभावित कर सकती है, विवाह को तलाक में बदल सकती है, पिता-पुत्र के रिश्तों में तनाव ला सकती है और अत्यधिक मामलों में हत्या जैसे अपराधों का कारण बन सकती है। आख़िरत के घर में बोहतान के प्रभाव का वर्णन किया गया है कि पवित्र पैगंबर (PBUH) ने कहा, " «مَنْ بَهَتَ مُؤْمِناً أَوْ مُؤْمِنَةً أَوْ قَالَ فِيهِ مَا لَيْسَ فِيهِ أَقَامَهُ اللهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ عَلَى تَلَّ مِنْ نَارٍ حَتَّى يَخْرُجَ مِمَّا قَالَ فيه». "अनुवाद: जो कोई किसी ईमान वाले पुरुष या महिला का अपमान करेगा या उससे कोई ऐसी चीज़ की निसबत देगा जो उसमें नहीं है, तो भगवान उसे पुनरुत्थान के दिन आग के ढेर पर खड़ा कर देगा, ताकि अपने मोमिन भाई या बहन के बारे में जो कुछ कहा है, उससे वह बाहर आ सके।
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