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अब्दुल हमीद केशक; सरल भाषा की तफ़्सीर करने में सब से आगे

14:20 - February 28, 2023
समाचार आईडी: 3478649
IQNA TEHRAN: अब्दुलहमीद केशक एक मिस्र के वैज्ञानिक, वक्ता और टिप्पणीकार हैं जिन्होंने 2000 से अधिक भाषण दिए। इसके अलावा, 10-वॉल्यूम पुस्तक "तफ़्सीर के दायरे में" में पवित्र कुरान की सरल और आम फहम भाषा में व्याख्या की गई है।

अब्दुलहमीद केशक एक मिस्र के वैज्ञानिक, वक्ता और टिप्पणीकार हैं जिन्होंने 2000 से अधिक भाषण दिए। इसके अलावा, 10-वॉल्यूम पुस्तक "तफ़्सीर के दायरे में" में पवित्र कुरान की सरल और आम फहम भाषा में व्याख्या की गई है।

 

अब्दुलहमीद बिन अब्दुलअज़ीज़ केशक का जन्म मिस्र के बोहैरा प्रांत के शाबराखीत में 13वें ज़ुल-क़ादा 1351 चंद्र वर्ष के बराबर 10 मार्च 1933 ई. को हुआ था। बचपन में, वह स्कूल गये और दस साल की उम्र से पहले पूरे पवित्र कुरान को हिफ़्ज़ कर लिया

अब्दुलहमीद केशक को बचपन से ही कुरान का शोक़ था और अपने भाषणों में, जिसके लिए वे प्रसिद्ध हुए, उन्होंने मौके के अनुसार कुरान की विभिन्न आयतों का उपयोग किया। इस के बावजूद, वह लेखन और विशेष रूप से कुरान की तफ़्सीर को आम लोगों की समझ में आने वाली भाषा में नहीं भूले। 13 साल की उम्र में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई और 17 साल की उम्र में उनकी दूसरी आंख की रोशनी भी चली गई। और वह अपने जीवन के अन्त समय तक नाबीना ही रहे। उन्होंने हमेशा इब्न अब्बास की प्रसिद्ध कविता को नक़्ल करके अपने बारे में कहते थे, हालाँकि अल्लाह ने मेरी दो आँखों की रोशनी छीन ली, लेकिन मेरी आत्मा और विचारों को रोशन कर दिया। 

 

उन्होंने इस्लामी शिक्षा और धार्मिक और कुरान की तालीमात के क्षेत्र में 108 किताबें छोड़ी हैं, जो सामान्य लोगों के लिए सरल भाषा में इस्लामी और धार्मिक तालीमात को समझाती हैं। उनके सबसे महत्वपूर्ण कुरानिक काम को दस-खंड तफ़्सीर (Fi Rahab al-Tafseerفی رحاب التفسیر) "तफ़्सीर के दायरे में" माना जाना चाहिए, जो एक सरल भाषा में कुरान के हिदायत के पहलुओं से संबंधित है। इस तफ़सीर में तफ़्सीर का तरीका एक ऐसे रूप में है जो कुरान, भाषा, विज्ञान और फ़िक़्ह के विशेष ज्ञान के बिना आम जनता के लिए समझ के क़ाबिल है।

 

शेख केशक पहले कुरान की आयतों का उल्लेख करते हैं और फिर कुरान के शब्दों की तफ़्सीर करते हैं और उन्हें सरल भाषा में बयान करते हैं, और फिर सरल भाषा में आयतों के अर्थ और मक़सद की व्याख्या करते हैं, और विषय के अनुसार वह अन्य ज्ञान जैसे साहित्य, राजनीति विज्ञान और चिकित्सा का भी सरल तरीके से उपयोग करते हैं। और आगे, वह मतलब और अर्थों के साथ-साथ आयतों के हुक्म के बारे में मौजूद शक शुब्हा को व्यक्त करते हैं और उनका उत्तर देता है। 

 

अपने भाषणों में, शेख कशक ने इस्लामी अख़्लाक़ और ज़ाती परहेज़गारी पर जोर दिया और इसे सामाजी तरक़्क़ी का एक कारक माना। जिसे इस्लाम का सामाजिक फलसफा कहा जा सकता है।

 

शुक्रवार, 6 दिसंबर, 1996 को, जब शेख केशक मस्जिद जाने और जुमे की नमाज अदा करने के लिए तैयार हो रहे थे, तो उन्होंने हमेशा की तरह अपने घर पर नाफिला की नमाज अदा करना शुरू किया और उनकी नमाज की दूसरी रक्अत के दूसरे सजदे में उनकी मृत्यु हो गई।

 

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