इकना के अनुसार, इस्लामी क्रांति के नेता ने हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (सल्लल्लाहु अलैहि व अलेही वा सल्लम) और इमाम जाफ़र सादिक (अलैहिस्सलाम) के जन्म की शुभ वर्षगांठ पर, एक प्रोग्राम में तक़रीर की।
क्रांति के सुप्रीम लीडर ने पवित्र कुरान की एक आयत का हवाला देते हुए पैगंबर के हक अदा करने के तरीके को "अल्लाह के रास्ते में पूर्ण जिहाद" बताया और कहा: जिहाद का अर्थ केवल हथियारों के साथ जिहाद नहीं है, बल्कि विज्ञान, राजनीति, ज्ञान आदि सहित सभी क्षेत्र में जिहाद है।
आपने कहा आज, इस्लाम के प्रति दुश्मनी पहले से कहीं अधिक स्पष्ट है और एक अज्ञानी मूर्ख कुरान का अपमान करता है और एक सरकार समर्थन करती है, जिससे पता चलता है कि मामला सिर्फ एक मंचीय और अपमानजनक कृत्य नहीं है।
हज़रत अयातुल्ला खामेनेई ने इन कार्यों से कुरान को कमजोर करने की कोशिश को नाकाम बताया और कहा कि इससे कुरान के दुश्मनों के विचारों की पोल ही खुलेगी।
उन्होंने बोलने की आजादी जैसे बार-बार झूठे और गलत दावों की बुनियाद पर कुरान का अपमान करने को दावेदारों हकीकत सामने आने का जरिया माना और कहा जो देश Freedom of expression के बहाने कुरान का अपमान करने की अनुमति देते हैं, क्या वे ज़ायोनी प्रतीकों पर हमला करने की भी अनुमति देते हैं? हम और कौन सी भाषा में समझाएं कि ये जालिमाना काम ज़ायोनीवादियों के प्रभुत्व में हैं।
अपने सवाल किया:
"इस्लामिक देशों की एकता का दुश्मन कौन है और मुसलमानों की एकता किसको नुकसान पहुँचाती है और उनके अतिक्रमण और लूटपाट और हस्तक्षेप को रोकती है?" यदि हम सब एकजुट हों और ईरान, इराक, सीरिया, लेबनान, सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन और फारस की खाड़ी के देश बुनियादी और सामान्य मुद्दों पर एक ही नीति अपनाएं, तो जालिम शक्तियां आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी करने की हिम्मत नहीं कर सकतीं हैं।
इस बैठक की शुरुआत में, राष्ट्रपति ने अपने भाषण में, "एकेश्वरवाद" और "न्याय" के आधार पर मनुष्य और समाज के निर्माण के लिए हजरत पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि है वालेही वसल्लम) के प्रयासों का जिक्र करते हुए, दुश्मनी के खिलाफ खड़े होने और रास्ते में प्रतिरोध का भी जिक्र किया।