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इस्लाम में हज/2

इस्लाम की बुनियाद हज/ हाजियों की जिम्मेदारी

10:35 - October 16, 2023
समाचार आईडी: 3479985
तेहरान (IQNA): अल्लाह ने अपने घर के हाजी को फ़ज़ीलत प्रदान की और उसे हज पर आमंत्रित किया। इसके अनुसार, तीर्थयात्रियों के कुछ कर्तव्य हैं जिन्हें उनको पूरा करना होगा।

हज के लिए बुलाने और काबा कि तवाफ़ करने से अल्लाह परीक्षा लेता है और इनाम देता है। यह सभी को एक ही पोशाक पहनाता है, एक सफेद पोशाक जो पाकीज़गी, स्वच्छता, लियाकत, प्रकाश, संस्कृति और अदब का प्रतीक है। और बचपन के दिनों और मृत्यु के दिनों के कपड़ों का रंग भी।

 

  ऐसी पोशाक जिसमें सर्दी-गर्मी और दिखावा नहीं होता। न लम्बा, न छोटा, इसमें देश, उम्र, वर्ग या पद का कोई चिन्ह नहीं। यह समानता और बंदगी की पोशाक है, हया और ईमानदारी की पोशाक है, ख़ाकसारी और एकरूपता की पोशाक है।

  हज समारोह हर साल दोहराया जाना चाहिए ताकि लोग होसलामन्द हों, इस्लामी दुनिया में नई घटनाओं से आगाह रहें, ताकि दुश्मन को पता चले कि हम जाग रहे हैं। हमारा हज खास छेत्र में और इन विशेषताओं वाला होना चाहिए:

  भगवान का घर «طهّرا بیتى للطّائفین»

  हमारे पिता का घर «ملّة أبیكم ابراهیم»

  सुरक्षित घर «من دخله كان آمنا»

  आज़ाद घर «بیتٌ عتیق» 

  मुबारक घर «ببكّة مباركاً»

 

  हमारा रोजाना का घर, हमारा किबला, एक ऐसा घर कि कोई जानवर अगर उसकी तरफ़ मुंह करके नहीं काटा जाता है, तो हम उसका मांस नहीं खाते हैं और हम मृतकों को कब्र में भी उसी की तरफ लिटाते हैं।

  हम तो हज की पूरी हक़ीक़त को नहीं समझते हैं, लेकिन हम इतना जानते हैं कि हमारे मासूम इमाम, अलैहिस्सलाम, पैदल ही इसकी ओर दौड़ पड़ते थे और इस यात्रा के लिए खुद को महीनों पहले से तैयार कर लिया करते थे, और हर रमज़ान के महीने की प्रार्थनाओं में सुबह-शाम वे यह फरयाद करते थे: «اللّهم ارزقنى حجّ بیتك الحرام» (परवरदिगार मुझे अपने घर का हज नसीब कर) और जैसे ही वे मक्का पहुँचते थे, वे अपने जूते उतार देते थे और रोते थे। उन्होंने हज के लिए धन खर्च किया और यहां तक ​​कि कारवां में गुमनाम रूप से अन्य तीर्थयात्रियों की सेवा भी की।

  इसलिए इस यात्रा का हिसाब सभी यात्राओं से अलग है।

  इस यात्रा में हाजी के तीन प्रकार के फ़र्ज़ होते हैं:

  1- अपनी संपत्ति के प्रति एक कर्तव्य: अपनी संपत्ति पर ख़ुम्स और ज़कात देना, ताकि लोगों को उसकी संपत्ति पर अधिकार न हो और वह अपनी संपत्ति का सबसे अच्छा हिस्सा खर्च कर सके।

  2- अपने प्रति एक कर्तव्य: तौबा करना और शुक्र करना, अल्लाह से नजदीक होने की नीयत और अपने इरादों को सही करना।

  3- जनता के प्रति कर्तव्य : लोगों से क्षमा मांगना, ग़रीबों, कमज़ोरों तथा रिश्तेदारों का ध्यान रखना, मित्रों को अपने सफ़र की सूचना देना।

 

  बहरहाल हज कोई साधारण और सामान्य यात्रा नहीं है, यह इस्लाम की प्रदर्शन है।

 

• मोहसिन क़िराअती द्वारा लिखित पुस्तक "हज" से लिया गया

 

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