IQNA

पवित्र कुरान में इमाम हुसैन (अ.स.) (1)

इमाम हुसैन (अ.स.) का कुरआन में स्थान 

16:55 - July 01, 2025
समाचार आईडी: 3483793
IQNA-कुरआन करीम में कुछ आयतें सीधे तौर पर इमाम हुसैन (अ.स.) के महान व्यक्तित्व की ओर इशारा करती हैं। इसके अलावा, कुरआन की कुछ अन्य आयतें ऐसी सच्चाईयों को भी दर्शाती हैं, जिनका सबसे बड़ा उदाहरण इमाम हुसैन (अ.स.) को माना जा सकता है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का यज़ीद की सरकार के खिलाफ विद्रोह एक बड़ी और वीरतापूर्ण घटना थी जिसका नाम इस्लाम के इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गया। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम, इस महान विद्रोह के नायक, एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही के जीवनकाल में ही इस दुनिया में आँखें खोली और पैगंबर और उनके पिता, अमीरुलमोमिनीन अली अलैहिस्सलाम की गोद में पले-बढ़े। इसलिए, भले ही वे बचपन में थे, लेकिन कुरान के अवतरण के दौरान वे पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही के साथ मौजूद थे। 

कुरान की कुछ आयतें सीधे तौर पर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के उच्च स्थान की ओर इशारा करती हैं, जबकि कुछ अन्य आयतें ऐसे अर्थ और सच्चाइयों को बयान करती हैं जिनका स्पष्ट उदाहरण उनके पवित्र अस्तित्व में देखा जा सकता है। इनमें से एक आयत "आयत-ए मवद्दत" है, जिसमें अल्लाह कहता है: 

"«قُلْ لا أَسْئَلُكُمْ عَلَيْهِ أَجْراً إِلاَّ الْمَوَدَّةَ فِي الْقُرْبى‏ 

(कह दो: मैं तुमसे इस (पैगंबरी) के बदले कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता, सिवाये निकटवर्तियों (अहल-ए बैत) से मुहब्बत करने के।" (सूरा अश-शूरा: 23)

कई विद्वानों जैसे अहमद बिन हंबल, इब्न मुन्ज़िर, इब्न अबी हातिम, तबरानी और इब्न मर्दवायह ने इब्न अब्बास से रिवायत किया है कि जब यह आयत (कुरआन 42:23) नाज़िल हुई, तो सहाबा ने पूछा: "या रसूलल्लाह! 'ज़विल कुरबा' (निकटवर्ती रिश्तेदार) कौन हैं, जिनसे मुहब्बत करना हम पर वाजिब है?" तो पैगंबर (स.अ.व.) ने फरमाया: "अली, फातिमा और उनके दो बेटे, हसन और हुसैन (अ.स.)।"

आयत-ए-तत्हीर (पवित्रता की आयत):

"إِنَّما يُريدُ اللَّهُ لِيُذْهِبَ عَنْكُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَيْتِ وَ يُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيراً" (सूरह अल-अहज़ाब 33:33) "बेशक, अल्लाह का इरादा है कि आप अहलुलबैत (पैगंबर के परिवार) से हर गंदगी को दूर कर दे और आपको पूर्णतः पाक-साफ़ बना दे।"

इस्लामी स्रोतों (शिया और सुन्नी दोनों) में कई हदीसों के अनुसार, आयत-ए-तत्हीर (पवित्रता की आयत) और आयत-ए-मुबाहिला में अहल-ए-बैत (पैगंबर का परिवार) से मतलब हज़रत फातिमा, हज़रत अली, इमाम हसन और इमाम हुसैन (अलैहिमुस्सलाम) से है। 

- हदीस (उम्मे सलमा से रिवायत):

पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने हज़रत फातिमा (स.अ.) से कहा: "अपने पति और बच्चों को मेरे पास ले आओ।" जब वे सभी आ गए, तो पैगंबर ने उन पर एक चादर ओढ़ा दी और आयत-ए-तत्हीर पढ़ी। यह साबित करता है कि अहलेबैत में यही पाँच लोग (पैगंबर, अली, फातिमा, हसन और हुसैन) शामिल हैं। 

आयत-ए-मुबाहिला (सूरा आल-ए-इमरान, आयत 61)

«فَمَنْ حاجَّكَ فيهِ مِنْ بَعْدِ ما جاءَكَ مِنَ الْعِلْمِ فَقُلْ تَعالَوْا نَدْعُ أَبْناءَنا وَ أَبْناءَكُمْ وَ نِساءَنا وَ نِساءَكُمْ وَ أَنْفُسَنا وَ أَنْفُسَكُمْ...‏» (آل‌عمران/۶۱)

 (अर्थ: "जो लोग तुमसे इस मामले में बहस करें, उनसे कहो: आओ, हम अपने बेटों और तुम्हारे बेटों, हमारी औरतों और तुम्हारी औरतों, हमारे जानों और तुम्हारे जानों को बुलाएँ, फिर ईमानदारी से दुआ करें...") 

-हदीस (शिया और सुन्नी स्रोतों से): 

जब नजरान के ईसाइयों ने पैगंबर से बहस की, तो मुबाहिला (परस्पर अभिशाप) का फैसला हुआ। पैगंबर (स.अ.व.) ने सिर्फ हज़रत अली, हज़रत फातिमा, इमाम हसन और इमाम हुसैन (अ.स.) को ही साथ लिया। 

  -"अब्नाअना" (हमारे बेटे) → हसन और हुसैन (अ.स.) 

  - "निसाअना" (हमारी औरतें) → हज़रत फातिमा (स.अ.) 

  - "अन्फुसना" (हमारे जान) → हज़रत अली (अ.स.) 

इन दोनों आयतों और हदीसों से स्पष्ट है कि इमाम हुसैन (अ.स.) का स्थान इस्लाम में बहुत ऊँचा है और वे अहले-बैत के अहम सदस्य हैं।

3493672

 

captcha