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कुरान की सूरह के व्यावहारिक गुण/

सूरह अर-रहमान: स्वर्ग की मधुर धुन और रहमत का तरन्नुम + वीडियो

15:18 - August 06, 2025
समाचार आईडी: 3483991
IQNA-सूरह अर-रहमान, अल्लाह की असीम दया और नेमतों से भरी हुई एक सुंदर सूरह है। यह न केवल कुरान का एक साहित्यिक चमत्कार है, बल्कि यह थके हुए दिलों के लिए सुकून और बीमार शरीरों के लिए दवा भी है। यह सूरह अल्लाह की मेहरबानी का प्रतीक है—एक ऐसी मलकूती आवाज़ जो स्वर्ग से आती है और दिल को रहमत में डुबो देती है। 

कुरान के पन्नों में कुछ आयतें ऐसी हैं जो दिल को हिला देती हैं, और कुछ सूरहें रूह को रोशन कर देती हैं। लेकिन सूरह अर-रहमान एक ऐसी सूरह है जिसे पढ़ते ही मानो स्वर्ग की हवा तन-मन को छू जाती है। यह सूरह वह है जिसे पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने **"कुरान की दुल्हन"** कहा है। 

सूरह अर-रहमान अल्लाह की महानता का एक संगीतमय प्रतिबिंब है, जो बार-बार एक गहरे सवाल के साथ दिल को सोचने पर मजबूर करती है: 

فَبِأَیِّ آلَاءِ رَبِّکُمَا تُکَذِّبَانِ؛ " 

**(तो तुम दोनों अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे?) 

यह सूरह सिर्फ आयतों का संग्रह नहीं, बल्कि अल्लाह की जलाल और जमाल का आईना है। यह दिल और जिस्म के लिए दवा है, मुश्किलों के लिए चाबी है और धरती से आसमान तक का पुल है। आगे हम इस सूरह के फज़ाइल, असर और बरकतों के बारे में विस्तार से बताएंगे—एक ऐसी सूरह जिसका पढ़ना दुनिया और आखिरत में नजात देने वाला है और जिसका असर न सिर्फ रूह पर, बल्कि जिस्म और ज़िंदगी पर भी पड़ता है। 

सूरह अर-रहमान, जिसे "आला" भी कहा जाता है, कुरान की 55वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है और इसमें 78 आयतें हैं। 

सूरह अर-रहमान पढ़ने के फ़ज़ाइल (विशेषताएं) 

इस्लामी स्रोतों में इस सूरह के कई फ़ज़ाइल बताए गए हैं: 

1. पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने फ़रमाया: "हर चीज़ की एक दुल्हन होती है और कुरान की दुल्हन सूरह अर-रहमान है।" (मुस्तदरक अल-वसाइल, जिल्द 4, पेज 351) 

2. एक और हदीस में आता है: "जो कोई सूरह अर-रहमान पढ़ेगा, अल्लाह उसकी कमज़ोरी पर रहम करेगा और उसे अपनी नेमतों का शुक्र अदा करने की ताक़त देगा।" (मजमउल-बयान, जिल्द 9, पेज 326) 

सूरह अर-रहमान के असर और बरकतें

1. मुश्किलों का आसान होना: 

   - रसूलअल्लाह (स.अ.व.) ने फ़रमाया: "जो कोई इस सूरह को लिखकर अपने पास रखेगा, अल्लाह उसके लिए हर मुश्किल काम को आसान कर देगा।" (तफसीर अल-बुरहान, जिल्द 5, पेज 238) 

2. रोगों से शिफा: 

   - इस सूरह के पढ़ने से शारीरिक और रूहानी बीमारियों से निजात मिलती है। 

3. रिज़्क में बरकत: 

   - जो इसे नियमित पढ़ता है, उसके रोज़ी-रोटी में बरकत होती है। 

4. क़ब्र और क़यामत में नूर: 

   - इस सूरह के पढ़ने वाले को क़ब्र और क़यामत के दिन नूर मिलेगा। 

(तफ़सीर अल-बुरहान, खंड 5, पृष्ठ 238)

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